Hessonite(गोमेद)

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गोमेद रत्न राहु ग्रह का रत्न हैं। इस रत्न को राहु की शुभता पाने के लिए धारण किया जाता हैं। मुख्यत: यह रत्न शहद या गोमूत्र के रंग का पाया जाता हैं। उत्तम क्वालिटी का गोमेद भारत, श्रीलंका और ब्राजील की रत्न खानों में पाया जाता हैं। इसके अलावा भी यह रत्न कई देशों में मिलता हैं परन्तु वहां के गोमेद को बहुत अच्छे स्तर का नहीं माना जाता हैं। यह कहा जाता हैं कि गोमेद रत्न की शुद्धता की यह पहचान हैं कि यह चमकदार और चिकना होना चाहिए। वैसे तो यह कई रंगों में पाया जाता हैं फिर भी काला, पीला, सफेद और उल्लू की आंख के रंग के गोमेद को विशेष रुप से पसंद किया जाता हैं।

जिन व्यक्तियों की कुंडली में राहु लग्न या त्रिकोण भाव में स्थित हों तो उस भाव के भावेश का रत्न धारण न करके राहु का रत्न धारण करना चाहिए। राहु के विषय में यह कहा जाता हैं कि राहु जिस भाव में स्थित होता हैं उस भाव के स्वामी की सभी शक्तियों को अपने अधिकार क्षॆत्र में ले लेता हैं। इसके अतिरिक्त राहु मिथुन राशि में उच्चस्थ होते हैं और गुरु की राशि धनु में नीचस्थ होते हैं। बुध की राशियों में राहु के स्थित होने पर भी गोमेद रत्न पहना जा सकता हैं। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यदि राहु अष्टम भाव या 6वें अथवा 12वें भाव में स्थित हों तो गोमेद पहनने से बचना चाहिए।

  •  जिन व्यक्तियों की कुंडली मिथुन, तुला, कुम्भ या वृष हों उन व्यक्तियों का गोमेद रत्न पहनना शुभ होता हैं।
  •  राहु का केंद्र भाव में विराजित होने पर गोमेद रत्न के पहनने से अनुकूल फल प्राप्त होता हैं।
  •  इसके अतिरिक्त राहु एकादश भाव में स्थित हों तो गोमेद रत्न पहना जा सकता हैं।
  •  जब जन्मराशि से राहु की स्थिति 6वें या 8वें भाव में हों तो गोमेद रत्न पहनना श्रेयस्कर रहता हैं।
  •  शनि और राहु के कारकतत्वों में कुछ समानताएं होने पर यह रत्न मकर राशि के व्यक्तियों को भी शुभफलदायी रहता हैं।
  •  राहु को राजनीति का कारक ग्रह माना गया है। जो व्यक्ति राजनीति में पूर्ण रुप से सक्रीय हैं और सफल होना चाहते हैं। उन सभी को गोमेद रत्न धारण करना चाहिए।
  •  जन्मपत्री में राहु के साथ शुक्र और बुध के साथ हों तो गोमेद रत्न पहनने से विशेष लाभ प्राप्त होता हैं। न्याय प्रक्रिया से जुड़े व्यक्तियों को भी गोमेद रत्न शुभता देता हैं।

 

गोमेद रत्न धारण के लाभ

राहु की शुभता प्राप्ति के लिए गोमेद रत्न पहना जाता हैं। यह रत्न कालसर्प योग के कष्टॊं का निवारण करने के लिए भी धारण किया जाता हैं। लग्न भाव में राहु स्थित हों तो यह रत्न धारण करने से स्वास्थ्य में सुधार होता हैं। अगर बात करें इस रत्न के चिकित्सीय लाभ की तो यह रत्न पाचन से जुड़े रोगों, त्वचा विकारों और क्षयरोग से मुक्ति दिलाने में सहयोग करता हैं। गोमेद राहु के फलों की शुभता को बढ़ाकर उन्हें शीघ्र प्राप्त होने में सहयोग करता हैं। इसकी शुभता से मान-सम्मान की प्राप्ति और अन्य सभी सुख साधन व्यक्ति को प्राप्त होते हैं।

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